Tuesday, August 12, 2008

Another - गुलशन कि फ़क़त

गुलशन कि फ़क़त फूलों से नहीं काटों से भी जीनत होती है,
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म कि भी ज़रूरत होती है.

ऐ वाइज़-ए-नादां करता है तू एक क़यामत का चर्चा,
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है.

वो पुर्सिश-ए-ग़म को आये हैं कुछ कह ना सकूं चुप रह ना सकूं,
खामोश रहूँ तो मुश्किल है कह दूं तो शिक़ायत होती है.

करना ही पड़ेगा जब्त-ए-अलम पीने ही पड़ेंगे ये आंसू,
फरियाद-ओ-फुगाँ से एय नादाँ तौहीन-ए-मोहब्बत होती है.

जो आके रुके दामन पे ‘सबा‘ वो अश्क नहीं है पानी है,
जो अश्क ना छलके आंखों से उस अश्क कि कीमत होती है.

जीनत - beauty, वाइज - preacher, पुर्सिश - inquiry,
जब्त - suffer,bear, अलम - pain, फुगाँ - lamentation

Sunday, August 10, 2008

HR goes well sometime ...

'Mein jahan rahun' and 'Yahi hota pyar' from Namaste London are among the nice tracks...
He goes well sometime ... :)

Pace ...

I had it within me ... the reason for almost all, I have achieved...
Now, time is moving faster than expected ... and I am not able to catch it ...
People started calling me ... 'Self-Proclaimed' genius in Maths ...
... I think I have lost my biggest strength :(

Thursday, August 7, 2008

हजारों ख्वाहिशें ऐसी ...

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले

खुदा के बासते पर्दा ना काबे से उठा जालिम
कहीं ऐसा न हो याँ भी वही काफिर सनम निकले

कहाँ मयखाने का दरवाजा 'गालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं, कल वो जाता था के हम निकले

खुल्द - Paradise, कूचे - street, सितम - cruelity, क़ाबे - House Of Allah In Mecca, वाइज़ - preacher

(Gazal available in 'my songs' box)